Disneyland 1972 Love the old s
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{Ghisa Panthi Ashram Samalkha Panipat}


( Satguru Ratiram Ji Maharaj Gudari Wale Moji Ram )



{घीसा पंथी आश्रम समालखा पानीपत (सतगुरु रति राम जी महाराज गुदड़ी वाले मौजी साहेब}

सत साहेब जी.🙏

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अक्टूबर तालिक 2025

October Table
सत्संग की तारीख
Date Of Satsang

अक्टूबर 5, 2025,रविवार(शुक्ल चतुर्दशी)

पूर्णिमा की तारीख
DATE OF PURNIMA

अक्टूबर 6, 2025, सोमवार (आश्विन पूर्णिमा )

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गरीब दास साहेब

(साखी)  (साखी)-

सतवादी सब सन्त हैं आप आपने धाम आजिज़ की अरदास है सकल सन्त परनाम

चेत सकै तो चेतिये कूकै संत सुमेर । चौरासी कूँ जात है फेर सकै तो फेर ।।

गगन मँडल में रम रहा तेरा संगी सोय । बाहर भरमे हानि है अंतर दीपक जोय ।।

निरबानी के नाम से हिल मिल रहना हंस । उर में करिये आरती कधी न बूड़ै बंस ।।

मात हिता सुत बंधवा देखे कुल के लोग । रे नर देखत फूँकिये करते हैं सब सोग ।।

रंचक नाम सँभारिये परपंची कूँ खोय । अंत समय आनंद है अटल भगति देउँ तोय ।।

पंछी उड़ै आकास कूँ कित कूँ कीन्हा गौन ये मन ऐसे जात है जैसे बुदबुद पौन

नंगा आया जगत में नंगा ही तू जाय । बिच कर ख्वाबी ख्याल है मन माया भरमाय ।।

निरबानी के नाम से हिल मिल रहना हंस । उर में करिये आरती कधी न बूड़ै बंस ।।

रंचक नाम सँभारिये परपंची कूँ खोय । अंत समय आनंद है अटल भगति देउँ तोय ।।

जा घट भग्ति बिलास है ता घट हीरा नाम । जो राजा पृथ्वी-पती का घर मुख्ते दाम ।।

जाते कूँ नर जान दे रहते कूँ ले राख । सत्त सब्द उर ध्यान घर मुख सूँ कूड़ न भाख ।।

रतन रसायन नाम है मुक्ता महल मजीत । अंधे कूँ सूझै नहीं आगे जलै अँगीठ ।।

यह मन मंजन कीजिये रे नर बारंबार । साईं से कर दोसती बिसर जाय संसार ।।

ऐसे लाहा लीजिये संत समागम सेव । सतगुरू साहब एक है तीनों अलख अभेव ।।

अंत समय को बात सुन तेरा संगी कौन । माटी में माटी मिलै पवनहिं मिलिहैं पौन ।।

ये बादर सब धुंध के मन माया चितराम । दीखै सो रहता नहीं सप्तपुरी सब धाम ।।

नाम बिना निबहै नहीं करनी करिहै कोट । संतों की संगत तजी बिष की बाँधी पोट ।।

नैना निरमल नूर के बैना बानी सार । आरत अंजन कीजिये डारो सिर से भार ।।

मन माया की डुगडुगी बाजत है मिरदंग । चेत सकै तो चेतिये जाना तुझे निहंग ।।

यह संजम सैलान कर यह मन यह बैराग । बन बसती कितही रहौ लगे बिरह का दाग ।।

महल मँडेरी नीम सब चलै कौन के साथ । कागा रौला हो रहा कछू न लागा हाथ ।।

लै का लाहा लीजिये लै की भर ले भार लै की बनिजी कीजिये लै का साहूकार

नाम अभय पद निरमला अटल अनूपम एक ये सौदा सत कीजिये बनिजी बनिज अलेख

दया धर्म दो मुकट हैं बुध्दि बिबेक बिचार । हर दम हाजिर हूजिये सौदा त्यारंत्यार ।।

इस माटी के महल में नातर कीजै मोद राव रंक सब चलेंगे आपे कूँ ले सोध

साहब साहब क्या करै साहब तेरे पास सहस इकीसों सोधि ले उलट अपूठा स्वाँस

फूँक फाँक फ़ारिग़ किया कहीं न पाया खोज चेत सकै तो चेतिये ये माया के चोज

गलताना गैबी चला माटी पिंडय जोख । आया सो पाया नहीं अन आये कूँ रोक ।।

रतन खजाना नाम है माल अजोख अपार । यह सौदा सत कीजिये दुगुने तिगुने चार ।।

भगति गरीबी बन्दगी संतों सेतीं हेत । जिन्ह के निःचल बास है आसन दीजे सेत ।।

झिल-मिल दीपक तेज कै दसों दिसा दरहाल । सतगुरू की सेवा करै पावै मुक्ता माल ।।

धन संचै तो संत का और न तेरे काम । अठसठ तीरथ जो करे नाहीं संत समान ।।

निर्गुन निर्मल नाम है अविगत नाम अबंच नाम रते सो धनपती और सकल परपंच

कुटिल बचन कूँ छाँड़ि दे मान मनी कूँ मार । सतगुरू हेला देत जनि डूबै काली धार ।।

जनम जनम को मैल है जनम जनम की घात । जड़ नर तोहि सूझै नहीं ले चला चोर बिरात ।।

चित के अंदर चाँदना कोटि सूर ससि भान । दिल के अंदर देहरा काहे पूज पखान ।।

साहब तेरी साहबी, कैसे जानी जाय। त्रिसरेनू से झीन है, नैनों रहा समाय॥

साहब मेरी बीनती, सुनो गरीब निवाज। जल की बूँद महल रचा, भला बनाया साज॥

भगति बिना क्या होत है, भरम रहा संसार। रत्ती कंचन पाय नहिं, रावन चलती बार॥

सुरत निरत मन पवन कूँ, करो एकत्तर यार। द्वादस उलट समोय ले, दिल अंदर दीदार॥

पारस हमारा नाम है, लोहा हमरी जात। जड़ सेती जड़ पलटिया, तुम कूँ केतिक बात॥

लै लागी जब जानिये, जग सूँ रहै उदास। नाम रटै निर्भय कला, हर दर हीरा स्वांस॥

 Last Date Modified

2024-12-05 12:51:36


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